लोगों को बहरा बना रहा है स्‍मार्टफोन

लोगों को बहरा बना रहा है स्‍मार्टफोन

सेहतराग टीम

सरिता को रोज सुबह पार्क में टहलते समय अपने स्‍मार्टफोन से ईयरप्‍लग्‍स की मदद से भजन सुनना पसंद है। अमित सिंह को रात में फोन पर गाने सुनने की आदत है। ये तो सिर्फ दो नाम हैं, हकीकत ये है कि पूरी दुनिया में अरबो लोग अपने स्‍मार्टफोन पर संगीत सुनने के दीवाने हैं। मगर ये दीवानापन उन्‍हें कम सुनाई देने की ओर ढकेल रहा है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो ये आदत उन्‍हें बहरा बनाने की ओर अग्रसर है।

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि स्मार्टफोन में संगीत सुनने तथा लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहने के कारण एक अरब से ज्यादा लोगों पर कम सुनाई देने का खतरा मंडरा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने इस समस्या से निपटने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। तेज ध्वनि अथवा इससे जुड़ी अवस्थाओं जैसे ‘टिनिटस’ से सुनाई देने की क्षमता को नुकसान से बचने के लिए दिए गए सुझावों में व्यक्तिगत ऑडियो यंत्र के बेहतर काम करने पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा गया है।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की एक अधिकारी के अनुसार, ‘इस वक्त हमारे पास यह कहने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है कि हम जो भी कर रहे हैं वह सही है या गलत या जो हम कर रहे है वह हमें आने वाले वर्षों में सुनने में दिक्कत पैदा करेगा। यह केवल हमारी समझ पर निर्भर है।’ 

उनके अनुसार, ‘हमने सुझाव दिया है कि स्मार्टफोन में एक स्पीडोमीटर लगा होना चाहिए, जिसमें एक मापन तंत्र होगा जो यह बताएगा कि आप कितनी तेज आवाज सुन रहे हैं। इसके अलावा अगर आप सीमा से अधिक तेज आवाज सुनेंगे तो यह आपको आगाह भी करेगा।’ 

दरअसल जब आप कंप्‍यूटर अथवा लैपटाप पर हेडफोन की मदद से संगीत सुनते हैं तो अधिकांश मामलों में दोनों डिवाइस तुरंत आपको सतर्क करते हैं कि आप जितनी ज्‍यादा ऊंची आवाज में गाने सुन रहे हैं वो आपके कान के लिए सही नहीं है। दूसरी ओर अधिकांश फोन ये सुविधा नहीं देते जिसके कारण लोग ज्‍यादा ऊंची आवाज में गाने सुनते हैं। इयरफोन कान में बेहद तेज आवाज पहुंचाते हैं जिसके कारण कानों के सुनने की क्षमता समय के साथ प्रभावित होने लगती है। उसके बाद जबतक उतनी ही तेज आवाज में न बोला जाए, लोग आवाज नहीं सुनते।

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